मुझे विश्वास है कि ‘जल जीवन मिशन भी एक जन आंदोलन का रूप लेगा: राष्ट्रपति कोविन्द

नई दिल्ली । गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विशवास जताया है कि ‘जल जीवन मिशनश् भी ‘स्वच्छ भारत अभियानश् की तरह ही एक जन आंदोलन का रूप लेगा। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने देश और विदेश में बसे भारत के सभी लोगों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी चर्चा की। राष्ट्रपति ने सरकार की कई योजनाओं जैसे उज्घ्ज्घ्वला योजना, आयुष्घ्मान योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इनका लाभ अब करोड़ों देशवासियों को मिल रहा है। उन्होंने इसरो की भी तारीफ की और कहा कि आज इसकी उपलब्धियों पर हम सभी देशवासियों को बहुत गर्व है।राष्ट्रपति ने कहा श् हमारे संविधान ने हम सब को एक स्वाधीन लोकतंत्र के नागरिक के रूप में कुछ अधिकार प्रदान किए हैं। लेकिन संविधान के अंतर्गत ही, हम सब ने यह जिम्मेदारी भी ली है कि हम न्याय, स्वतंत्रता और समानता तथा भाईचारे के मूलभूत लोकतान्त्रिक आदर्शों के प्रति सदैव प्रतिबद्ध रहें।श्राष्ट्रपति ने कहा श् जन-कल्याण के लिए, सरकार ने कई अभियान चलाए हैं। यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि नागरिकों ने, स्वेच्छा से उन अभियानों को, लोकप्रिय जन-आंदोलनों का रूप दिया है जनता की भागीदारी के कारण ‘स्वच्छ भारत अभियानश् ने बहुत ही कम समय में प्रभावशाली सफलता हासिल की है। भागीदारी की यही भावना अन्य क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयासों में भी दिखाई देती है - चाहे रसोई गैस की सब्सिडी को छोड़ना हो, या फिर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना हो प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजनाश् की उपलब्धियां गर्व करने योग्य हैं। लक्ष्य को पूरा करते हुए, 8 करोड़ लाभार्थियों को इस योजना में शामिल किया जा चुका है। ऐसा होने से, जरूरतमंद लोगों को अब स्वच्छ ईंधन की सुविधा मिल पा रही है। ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधिश् के माध्यम से लगभग 14 करोड़ से अधिक किसान भाई-बहन प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की न्यूनतम आय प्राप्त करने के हकदार बने हैं। इससे हमारे अन्नदाताओं को सम्मानपूर्वक जीवन बिताने में सहायता मिल रही है मुझे विश्वास है कि ‘जल जीवन मिशनश् भी ‘स्वच्छ भारत अभियानश् की तरह ही एक जन आंदोलन का रूप लेगा।श्उन्होंने आर्थिक हालातों पर अपने सम्बोधन में कहा श्जीएसटी के लागू हो जाने से ‘एक देश, एक कर, एक बाजारश् की अवधारणा को साकार रूप मिल सका है। इसी के साथ ‘ई-नामश् योजना द्वारा भी श्एक राष्ट्र के लिए एक बाजारश् बनाने की प्रक्रिया मजबूत बनाई जा रही है, जिससे किसानों को लाभ पहुंचेगा। हम देश के हर हिस्से के सम्पूर्ण विकास के लिए निरंतर प्रयासरत हैं, चाहे वह जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हो, पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य हों या हिंद महासागर में स्थित हमारे द्वीप-समूह हों।श्राष्ट्रपति के अमुसार श् देश के विकास के लिए एक सुदृढ़ आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था का होना भी जरूरी है। इसीलिए सरकार ने आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए अनेक ठोस कदम उठाए हैं। सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों के द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र पर विशेष बल दिया है। भारत में सदैव ज्ञान को शक्ति, प्रसिद्धि या धन से अधिक मूल्यवान माना जाता है। शैक्षिक संस्थाओं को भारतीय परंपरा में ज्ञान अर्जित करने का स्थान अर्थात विद्या का मंदिर माना जाता है शिक्षा के क्षेत्र में हमारी कई उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। हमारा प्रयास है कि देश का कोई भी बच्चा अथवा युवा, शिक्षा की सुविधा से वंचित न रहे।श्राष्ट्रपति ने इसरो की सराहना की और कहा ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (इसरो) की उपलब्धियों पर हम सभी देशवासियों को बहुत गर्व है। ओलंपिक 2020 की खेल प्रतियोगिताओं में, भारतीय दल के साथ करोड़ों देशवासियों की शुभकामनाओं और समर्थन की ताकत मौजूद रहेगी।देश की सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और आंतरिक सुरक्षा बलों की मैं मुक्त-कंठ से प्रशंसा करता हूं। देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने में उनका बलिदान, अद्वितीय साहस और अनुशासन की अमर गाथाएं प्रस्तुत करता है। प्रवासी भारतीयों ने भी सदैव देश का गौरव बढ़ाया है। कई प्रवासियों ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है।राष्ट्रपति ने कहा इस महीने के आरंभ में, मुझे देश के ऐसे ही कुछ कर्मठ लोगों से मिलने और उनके साथ बातचीत करने का अवसर मिला, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय काम किया है। ऐसे लोग यह सिद्ध करते हैं कि सामान्य व्यक्ति भी, अपने आदर्शों और कर्मठता के बल पर, समाज में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। इस शताब्दी में जन्मे युवा, बढ़-चढ़ कर, राष्ट्रीय विचार-प्रवाह में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। मुझे, इन युवाओं में, एक उभरते हुए नए भारत की झलक दिखाई देती हैश् राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा श्राष्ट्र-निर्माण के लिए, महात्मा गांधी के विचार आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक हैं। सत्य और अहिंसा का उनका संदेश हमारे आज के समय में और भी अधिक आवश्यक हो गया है।