विशाखापट्टनम से अरकू के बीच शुरू हुई शीशे की छत वाली विस्टाडोम ट्रेन

नई दिल्ली । भारतीय रेलवे ने शिटी पर्वत स्टेशन के बीच की दूरी 128 किलोमीटर है। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में इन कामला के बाद अब आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम और अरकू के बीच शीशे वाली ट्रेन यानी विस्टाडोम कोच ट्रेन का संचालन शुरु किया है। आप अब अपनी बर्थ पर बैठकर छत और खिड़कियों से आस-पास का नजारा देखते हुए यात्रा कर सकते हैं। ट्रेन के कोच की छत और खिड़की पारदर्शी कांच की बनी हुई हैं। जिससे आप प्रकृति के खूबसूरत नजारे देखते हुए यात्रा कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि विशाखापट्टनम से अरकू घोचों को तैयार किया गया है। इसे बनाने में 3.38 करोड़ रुपए का खर्च आया है। इस ट्रेन में सफर करने के प्रति यात्री 670 रुपए चुकाने होंगे। कालका-शिमला रूट पर विस्टाडोम कोच पहले से चलाए जा रहे हैं। विस्टाडोम कोच वाली हिम दर्शन एक्सप्रेस का संचालन कालका-शिमला रूट पर दिसंबर 2019 से किया जा रहा है। इस ट्रेन में सात कोच हैं। इनमें से फर्स्ट क्लास कैटेगिरी की 6 विस्टाडोम कोच हैं। एक फर्स्ट क्लास सिटिंग कम लगेज कोच है। एक कोच में 15 यात्री ही सफर कर सकते हैं, जबकि सिटिंग क्लास की क्षमता 14 है। विशाखापट्टनम और अरकू के बीच घाटियों की खूबसूरती को यात्री करीब से देख सकें, इसके लिए इस रूट पर विस्टाडोम कोच युक्त ट्रेन चलाई गई है। बड़ी खिड़की और पारदर्शी कांच की छत से यात्री सफर के दौरान प्रकृति को करीब से देख सकेंगे। यह ट्रेन पर्यटकों को सफर का एक नया अनुभव देती है। 40 सीट वाले इस कोच की अनूठी खासियत यह है कि इसमें लगी सीटें 360 डिग्री तक घूम सकती हैं, जिससे यात्रियों को बेहतर नजारे का अनुभव मिलेगा। कोच की छत भी शीशे की बनी है। कोच में दिव्घ्यांगों के लिए साइड डोर भी उपलब्ध है। साथ ही कंपार्टमेंट में ऑटोमैटिक दरवाजे भी लगाए गए हैं। सभी कोच में एलईडी लाइट लगी हैं। इसके अलावा पैसेंजर्स तक जल्दी सूचना पहुंचाने के लिए जीपीसी आधारित सूचना प्रणाली का उपयोग किया गया है।